दिव्य युगल के सान्निध्य में 45 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे इसमें एक जोड़ा चंडीगढ़ का भी था!
- By Vinod --
- Wednesday, 31 Jan, 2024
In the presence of the divine couple, 45 couples tied the knot, including one from Chandigarh!
In the presence of the divine couple, 45 couples tied the knot, including one from Chandigarh!- चंडीगढ़I निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता जी के पावन सान्निध्य में मिहान के निकट, नागपुर में 57वें निरंकारी संत समागम के स्थल पर आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में 45 युगल परिणय सूत्र में बंधे इसमें एक जोड़ा चंडीगढ़ का भी था ।
नव विवाहित वर-वधूओं को सतगुरु माता जी ने गृहस्थ जीवन को भक्ति के साथ जीने का आशीर्वाद प्रदान किया तथा निरंकारी पद्धति द्वारा सादे विवाह को अपनाने के लिए उनके परिवारों का अभिनंदन करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी।
इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम में पारम्परिक जयमाला के साथ निरंकारी विवाह का विशेष चिन्ह सांझा हार भी प्रत्येक जोड़े को मिशन के प्रतिनिधियों द्वारा पहनाया गया। लावों के दौरान सतगुरु माता जी एवं राजपिता जी ने वर-वधू पर पुष्प-वर्षा कर अपना दिव्य आशीर्वाद प्रदान किया। कार्यक्रम में उपस्थित वर-वधू के सम्बधित परिजनों एवं साध संगत ने भी पुष्प-वर्षा की। निश्चित रूप से यह एक आलौकिक दृश्य था।
आज के इस शुभ अवसर पर महाराष्ट्र के अतिरिक्त भारत के विभिन्न राज्यों से कुल 45 युगल सम्मिलित हुए जिनमें मुख्यतः महाराष्ट्र के नागपुर, वडसा, मुंबई, अहमदनगर, छत्रपती संभाजी नगर, चिपलून, धुले, डोंबिवली, जालना, कोल्हापुर, नाशिक, पालघर, पुणे, सोलापुर आदि स्थानों के अतिरिक्त मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, चंडिगढ़, हरियाणा एवं ओडिशा आदि राज्यों के वर-वधूओं का समावेश था। सामूहिक विवाह के उपरांत सभी के लिए भोजन की समुचित व्यवस्था समागम स्थल पर की गई।
उल्लेखनीय है कि सादा शादियों के अंतर्गत काफी संख्या में स्नातक, स्नातकोत्तर एवं उच्च शिक्षित नौजवानों के रूप में वर-वधूओं का समावेश दिखा। कुछ परिवार ऐसे भी थे जो अपने बच्चों की शादी बड़े धूमधाम से कर सकते थे लेकिन सतगुरु की पावन छत्रछाया में उनकी दिव्य सिखलाई को अपनाते हुए निरंकारी पद्धति के अनुसार सादे रूप में शादी करके समाज के सामने उन्होंने एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया।
निसंदेह सादा शादियों का यह अलौकिक दृश्य जाति, वर्ण की विषमता को मिटाकर एकत्व का सुंदर संदेश प्रस्तुत कर रहा था जो निरंकारी मिशन का संदेश भी है।